रावण और सुग्रीव का द्वंद्व : अनसुनी कथा, पुराणों में छुपा अद्भुत प्रसंग
रामायण की कथा में हम अक्सर रावण और राम, या सुग्रीव और बालि की लड़ाई सुनते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि रावण और सुग्रीव के बीच भी एक अद्भुत द्वंद्व हुआ था। यह प्रसंग रामायण के अतिरिक्त कुछ पुराणों और क्षेत्रीय काव्यों में वर्णित है। इस लेख में हम उसी छुपे हुए प्रसंग पर प्रकाश डालेंगे।
1. प्रसंग
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जब सुग्रीव ने बालि को मारकर वानरराज्य का कार्यभार संभाला, तब वे अपने सामर्थ्य और पराक्रम को लेकर प्रसिद्ध हो गए।
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रावण, जो उस समय समस्त त्रिलोक का विजेता बनने की तैयारी में था, उसने सुग्रीव को अपने सामने झुकाने की सोची।
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इसी उद्देश्य से रावण और सुग्रीव के बीच युद्ध हुआ।
👉 अनसुना तथ्य : यह प्रसंग सीधे वाल्मीकि रामायण में नहीं मिलता, बल्कि अन्य रामायणों और पुराणों में विस्तार से वर्णित है।
2. युद्ध की शुरुआत : रावण की चुनौती (रावण और सुग्रीव की पहली भिड़ंत)
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रावण ने वानरराज सुग्रीव के सामर्थ्य को देखकर उन्हें चुनौती दी।
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उसका उद्देश्य था – वानरों को भयभीत करके लंका का सहयोग प्राप्त करना।
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लेकिन सुग्रीव ने रावण की चुनौती स्वीकार कर ली।
3. सुग्रीव की वीरता
सुग्रीव का शरीर अत्यंत बलवान और पर्वत समान कठोर था।
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युद्ध में उन्होंने रावण को अपने भुजदंड से दबोच लिया।
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कुछ ग्रंथों के अनुसार सुग्रीव ने रावण को पकड़कर कई योजनाओं (मीलों) तक पृथ्वी पर घसीटा।
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रावण उनके बल को देखकर क्षणभर के लिए चकित रह गया।
👉 अनसुना पहलू : यह घटना दर्शाती है कि वानरराज सुग्रीव में भी उतनी ही शक्ति थी जितनी अन्य महाबलियों में।
4. युद्ध का मोड़ (सुग्रीव ने रावण को कैसे परास्त किया?)
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रावण जब सुग्रीव के हाथों परास्त होने लगे तो उन्होंने अपनी मायावी शक्ति का प्रयोग किया।
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उन्होंने आकाश मार्ग से आक्रमण किया।
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किंतु सुग्रीव ने भी अपनी फुर्ती और पर्वत उखाड़ने जैसी शक्ति से रावण को रोक दिया।
5. शिव की कृपा और रावण का बचाव
कुछ पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि जब रावण संकट में फँसे, तो शिवजी की कृपा से वे सुग्रीव के बंधन से मुक्त हो पाए।
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रावण ने इस प्रसंग से सीखा कि केवल बल पर ही विजय संभव नहीं।
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उन्होंने अंततः सुग्रीव से मित्रता का प्रस्ताव रखा।
6. इस द्वंद्व की महत्ता
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यह कथा दिखाती है कि वानरराज्य और उसके राजा सुग्रीव कितने शक्तिशाली थे।
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रावण सर्वशक्तिमान नहीं था; वह भी कई बार पराजय के करीब पहुँचा।
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सुग्रीव के पराक्रम ने रामायण युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की।
7. रामायण युद्ध से संबंध
जब बाद में राम और रावण का युद्ध हुआ, तब सुग्रीव ने वानरसेना के साथ राम की सहायता की।
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रावण को पहले से पता था कि सुग्रीव कितना बलवान है।
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यही कारण था कि रावण वानरों को हल्के में नहीं ले पाया।
8. शिक्षा
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केवल अहंकार और शक्ति पर विश्वास करने वाला अंततः पराजित होता है।
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मित्रता और धर्म के मार्ग पर चलने वाला सदैव विजयी होता है।
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सुग्रीव का द्वंद्व हमें यह सिखाता है कि साहस और धैर्य से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
रावण और सुग्रीव का द्वंद्व रामायण की मुख्य कथा का हिस्सा नहीं है, लेकिन यह प्रसंग बताता है कि सुग्रीव केवल सहयोगी मित्र नहीं, बल्कि एक महान योद्धा भी थे। रावण का पराभव और सुग्रीव की विजय इस बात का प्रमाण है कि धर्म और साहस के आगे असुरशक्ति टिक नहीं सकती।