Rajput Kavita

Rajputana Kavita

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राजपुताना कविता सभी राजपूतो के लिए

हम जब  चलते है तो शान निराली होती है
लाखो में से राजपूत की पहचान निराली होती है
जो  कहते है हम तुमसे ज्यादा बेहतर है ,
उनको समझलो , राजपूतो की हर बात निराली होती है।

राजपूत कविता

हम बहुत भविस्य वर्तमान की साख संजोये बैठे है ,
राजपूत की सुबह भी और शाम निराली होती है।
कह दो उन सब से जो हमसे ऊँचे स्वर में चिल्लाता है ,
शेर की खमोशी और तूफानी सन्नाटा , दोनों की ललकार निराली होती है।

**************Rajputana Kavita In Hindi *****************

महाराणा प्रताप कविता

मुगल काल में पैदा हुआ वो बालक कहलाया राणा
होते जौहर चित्तौड़ दुर्ग फिर बरसा मेघ बन के राणा

हरमों में जाती थीं ललना बना कृष्ण द्रौपदी का राणा
रौंदी भूमि ज्यों कंस मुग़ल बना कंस को अरिसूदन राणा

छोड़ा था साथियों ने भी साथ चल पड़ा युद्ध इकला राणा
चेतक का पग हाथी मस्तक ज्यों नभ से कूद पड़ा राणा

मानसिंह भयभीत हुआ जब भाला फैंक दिया राणा
देखी शक्ति तप वीर व्रती हाथी भी कांप गया राणा

चहुँ ओर रहे रिपु घेर देख सोचा बलिदान करूँ राणा
शत्रु को मृगों का झुण्ड जान सिंहों सा टूट पड़ा राणा

देखा झाला यह दृश्य कहा अब सूर्यास्त होने को है
सब ओर अँधेरा बरस रहा लो डूबा आर्य भानु राणा

गरजा झाला के भी होते रिपु कैसे छुएगा तन राणा
ले लिया छत्र अपने सिर पर अविलम्ब निकल जाओ राणा

हुंकार भरी शत्रु को यह मैं हूँ राणा मैं हूँ राणा
नृप भेज सुरक्षित बाहर खुद बलि दे दी कह जय हो राणा
कह नमस्कार भारत भूमि रक्षित करना रक्षक राणा!

महाराणा प्रताप कविता

चेतक था दौड़ रहा सरपट जंगल में लिए हुए राणा
आ रहा शत्रुदल पीछे ही नहीं छुए शत्रु स्वामी राणा

आगे आकर एक नाले पर हो गया पार लेकर राणा
रह गए शत्रु हाथों मलते चेतक बलवान बली राणा

ले पार गया पर अब हारा चेतक गिर पड़ा लिए राणा
थे अश्रु भरे नयनों में जब देखा चेतक प्यारा राणा

अश्रु लिए आँखों में सिर रख दिया अश्व गोदी राणा
स्वामी रोते मेरे चेतक! चेतक कहता मेरे राणा!

हो गया विदा स्वामी से अब इकला छोड़ गया राणा
परताप कहे बिन चेतक अब राणा है नहीं रहा राणा

महाराणा प्रताप कविता

सुन चेतक मेरे साथी सुन जब तक ये नाम रहे राणा
मेरा परिचय अब तू होगा कि वो है चेतक का राणा!

अब वन में भटकता राजा है पत्थर पे सोता है राणा
दो टिक्कड़ सूखे खिला रहा बच्चों को पत्नी को राणा

थे अकलमंद आते कहते अकबर से संधि करो राणा
है यही तरीका नहीं तो फिर वन वन भटको भूखे राणा

हर बार यही उत्तर होता झाला का ऋण ऊपर राणा
प्राणों से प्यारे चेतक का अपमान करे कैसे राणा

एक दिन बच्चे की रोटी पर झपटा बिलाव देखा राणा
हृदय पर ज्यों बिजली टूटी अंदर से टूट गया राणा

महाराणा प्रताप कविता

ले कागज़ लिख बैठा, अकबर! संधि स्वीकार करे राणा
भेजा है दूत अकबर के द्वार ज्यों पिंजरे में नाहर राणा

देखा अकबर वह संधि पत्र वह बोला आज झुका राणा
रह रह के दंग उन्मत्त हुआ कह आज झुका है नभ राणा

विश्व विजय तो आज हुई बोलो कब आएगा राणा
कब मेरे चरणों को झुकने कब झुक कर आएगा राणा

पर इतने में ही बोल उठा पृथ्वी यह लेख नहीं राणा
अकबर बोला लिख कर पूछो लगता है यह लिखा राणा

पृथ्वी ने लिखा राणा को क्या बात है क्यों पिघला राणा?
पश्चिम से सूरज क्यों निकला सरका कैसे पर्वत राणा?

महाराणा प्रताप कविता

चातक ने कैसे पिया नदी का पानी बता बता राणा?
मेवाड़ भूमि का पूत आज क्यों रण से डरा डरा राणा?

भारत भूमि का सिंह बंधेगा अकबर के पिंजरे राणा?
दुर्योधन बाँधे कृष्ण तो क्या होगी कृष्णा रक्षित राणा?

अब कौन बचायेगा सतीत्व अबला का बता बता राणा?
अब कौन बचाए पद्मिनियाँ जौहर से तेरे बिन राणा?

यह पत्र मिला राणा को जब धिक्कार मुझे धिक्कार मुझे
कहकर ऐसा वह बैठ गया अब पश्चाताप हुआ राणा

चेतक झाला को याद किया फिर फूट फूट रोया राणा
बोला इस पापकर्म पर तुम अब क्षमा करो अपना राणा

और लिख भेजा पृथ्वी को कि नहीं पिघल सके ऐसा राणा
सूरज निकलेगा पूरब से, नहीं सरक सके पर्वत राणा

महाराणा प्रताप कविता

चातक है प्रतीक्षारत कि कब होगी वर्षा पहली राणा
भारत भूमि का पुत्र हूँ फिर रण से डरने का प्रश्न कहाँ?

भारत भूमि का सिंह नहीं अकबर के पिंजरे में राणा
दुर्योधन बाँध सके कृष्ण ऐसा कोई कृष्ण नहीं राणा

जब तक जीवन है इस तन में तब तक कृष्णा रक्षित राणा
अब और नहीं होने देगा जौहर पद्मिनियों का राणा!
Rajput Proud

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7 thoughts on “Rajput Kavita

  • 02/25/2019 at 2:14 PM
    Permalink

    Jai Maharana, Jai Rajputana

    Reply
      • 01/01/2021 at 6:01 AM
        Permalink

        ठाकुरों के ठाठ निराले की कहते हैं दुनिया वाले जो जन्मे राजपूताने में bo hote Hainकिस्मत वाले रणभूमि में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दे वो राजपूत क्षत्रिय धर्म कैलावे महाराणा काबू घोड़ा था हवा से बातें करता था नाम उसका चेतक था 26 फीट का नाला था और उसको करिया था महाराणा को बचा लिया था पृथ्वीराज चौहान के शब्दभेदी बाण ने मोहम्मद गौरी को यमलोक पहुंचाया था राणा सांगा के 80gabo ने बाबर की सेना को अचंभित किया बयाना का दुर्ग जीत लिया

        Reply
    • 07/31/2019 at 1:56 PM
      Permalink

      jay maharana pratap

      Reply

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